Kya likhoon
क्या लिखूं
जब सोचती हूं, कुछ सूझता नहीं
मन में आता है, कलम में नहीं
क्या लिखूं
ख़ूब ख्याल आते हैं
कुछ बड़े, कुछ छोटे
ख़यालों को सच बना दूं
या धुआं ही रहने दूं
क्या लिखूं
वो कहानी जो पन्ने पर आए
और दुनिया बदल दे
जो मेरे दिल से तेरे दिल से जुड़े
ऐसे शब्द लिखूं
क्या लिखूं
कोई ना कहे ये बेहतर हो सक्ती है
क्या ये लिखने लायक हैं
या मन में महफ़ूस रखूं
क्या लिखूं
किस भाषा में
किस बारे में
किस देश में
किस किरदार पर
क्या लिखूं
शायद वक्त नहीं हुआ इनके उबरने का
कलम रुकी सी, कुछ समझ नहीं आता
बार-बार लिखती हूं
क्या लिखूं


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